सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान का एक मौलिक और गैर-संशोधन योग्य तत्व है
सुप्रीम कोर्ट ने “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्दों को संविधान का अभिन्न अंग मानते हुए उन्हें प्रस्तावना से हटाने के अनुरोध पर आपत्ति व्यक्त की। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और संजय कुमार ने कहा कि देश में वर्षों से विकसित हुई “धर्मनिरपेक्षता” और “समाजवाद” की अवधारणाएं अद्वितीय, बहुत भारतीय और पश्चिमी मॉडल से अलग हैं।